श्रीनिवासचार्येण, के. टि.2014-04-082014-04-082014-04-08http://dspace.vpmthane.org:8080/jspui/handle/123456789/3642otherमहर्षिगार्ग्यायप्रणीत : प्रणववाद : प्रथमभाग : स्वामियोगानन्दविरचिता प्रणववादार्थदीपिकाचBook